Friday, August 31, 2018

ट्यूब लाइट का कार्य करने का सिद्धान्त

ट्यूब लाइट का कार्य करने का सिद्धान्त 

ट्यूब लाइट में चोक स्टार्टर  और ट्यूब रॉड के दोनों साइड के फिलामेंट सिरीज़ में कनेक्ट होते हें ट्यूब लाइट रॉड में दो फिलमेंट होते हें जेसे ही सप्लाई ऑन करते हें करंट चोक स्टार्टर और फिलामेंट से बहने लगती हे ।
फिलमेंट गरम होने से इलेक्ट्रोन निकलते हें जब स्टॉर्टर के द्वारा सर्किट ब्रेक होता हे तो चोक से हाई वोल्टेज पैदा होता है जिससे रॉड के अंदर इलेक्ट्रोन एक साइड से दूसरे साइड तेजी से बहने लगते है ये इलेक्ट्रोन कांच के अंदर फ्लोरोसेंट कोटिंग से टकराते हे जिससे रोसनी पैदा होती हे। ट्यूब लाइट स्टार्ट होने के बाद चोक ट्यूब लाइट की करंट को कंट्रोल करके रखता हे। रनिंग  के समय रॉड को 110 वोल्ट मिलता हे बाकि वोल्टेज चोक ड्राप कर लेता हे। साधारणतः ट्यूब लाइट होल्डर या स्टार्टर होल्डर में लूज़ कांटेक्ट होने से लाइट नहीं जलती हे जिसे स्टार्टर या रॉड को घूमाने से ठीक हो जाती हे। कभी कभी रॉड दोनों साइड ग्लो करती हे पर स्टार्ट नहीं होती ये स्टार्टर शार्ट होने से होता हे स्टार्टर चेंज करने से ओके हो जाती हे। ट्यूब रॉड पुरानी हो कर कमजोर हो जाने से लहरा कर चलती है तब ट्यूब रॉड बदलने से ठीक हो जाती है। यदि इससे काम न बने तो सभी सामान को मल्टी मीटर या सिरीज़ लैंप से टेस्ट कर के देखे जो सामान कॉन्टीन्यूटी नहीं दिखाये उसे चेंज कर दे लाइट ठीक हो जायेगी ।


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